Saturday, March 3, 2012

माता पिता की छत्रछाया 2

बिता समय नहीं आएगा , लाख कमाकर क्या करोगे ?
प्रेम से हाथ फिराकर बेटा कहने वाला नहीं मिलेगा ,
फिर उधार से प्रेम लेकर , आंसू बहाकर क्या करोगे ?

माता पिता की छत्रछाया 1

जीवित माता पिता की छत्रछाया मे, प्रेम के दो शब्द बोलकर आनंद ले लेना
जब होठ आधे बंद पड़ जाये, तब गंगाजल रखकर क्या मिलेगा ?
अंतर के आशीर्वाद देने वाले को , सच्चे हर्दय से मिल लेना
जीवित नहीं हो तब नतमस्तक होकर , तस्वीर को नमन करके क्या मिलेगा ?
लाख उपाय करोगे तब भी , वात्सल्य का आनंद नहीं मिलेगा
माता पिता का खजाना भाग्यशाली संतानों को मिलता है ,
अडसठ तीर्थ उनके चरणों मे , दुसरे तीर्थ नहीं घूमना
पंचभूत मे मिलने के बाद , अस्थि को गंगा मे पधाराने से क्या मिलेगा ?
श्रवण बनकर बुढ़ापे की लाठी बनना , प्रेम से हाथ पकड़कर कभी तीरथ साथ घुमना,
मात्र देवो भव , पित्र देवो भव , ये सनातन सत्य है ,
फिर राम नाम सत्य है बोलकर क्या करोगे ?
पैसा खर्च करके सब कुछ बिता ,माँ बाप नहीं मीलेगे ,











माँ जिंदा भगवान

माँ ममता , धड़कन आंसू और प्यार है
माँ सेवा सहयोग समर्पण का संसार हें
माँ ममता मानवता का महकता उपवन है
माँ सेवा संस्कारो का खिला हुआ सुमन है
माँ वात्सल्य दाम्पत्य का जलता चिराग है
माँ मानव मूल्यों से भरा हरा भरा बाग है
माँ छोटे से बच्चे की मुस्काती किलकारी है
माँ संस्कारों के सावन की महकती फुलवारी है
माँ मंदिर मस्जिद मेकी गई सच्ची प्राथना है
माँ आशीर्वाद की दुआ और मंगल कामना है
माँ घर परिवार के आंगन में जिन्दा भगवान् है
माँ इश्वर अल्लाह से भी बढ़कर जग मे महान है