Thursday, April 16, 2009

वक्त नही

सारे रिश्तों को तो हम भुंल चुके,

अब उन्हे याद करने का भी वक़्त नही।

सारे नाम मोबाईल में

दोस्ती के लिए वक़्त नही।

गैरों की क्या बात करें,जब अपनो के लिए ही वक़्त नही।

आँखों मे है नींद बड़ी,पर सोने का वक़्त नही।

दिल है गमो से भरा हुआ,पर रोने का भी वक़्त नही।

पैसों की दौड़ मे ऐसे दौड़े,की आराम का भी वक़्त नही।

पराए एहसासों की क्या क़द्र करें,

जब अपने सपनो के लिए ही वक़्त नही

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