Sunday, May 10, 2009

प्यार

वो प्यार जिस के लिए हम ने छोड़ दी दुनिया,

वफ़ा की राह मैं घायल वो प्यार आज भी है॥

मुझ को मालूम है यह गम है कोई सौगात नहीं,

तुम मुझे अपना कहो अब ऐसे भी हालत नहीं

पानी में अक्स देख के खुश हो रहा था में,

पत्थर किसी ने मारा तो मंज़र बदल गया

तेरी यादों की बारिश सावन की तरह ना बरसती,

काश ख्यालों के दरिया को तुम साहिल ना बनाती,

दिल चुराके ना दिल तोड़ती तो ये बेबसी ना होती,

प्यार के खेल में तेरी जीत और मेरी हार ना होती...

5 comments:

  1. रानी जी ब्लॉग जगत में आपका तहे दिल से स्वागत है ...यूं ही अपनी भावनाओ. ... को शब्दों से रंगते रहिये ... यूं ही लिखते रहिये.. कभी वकत मिले तो इस ब्लॉग पर भी जरुर आये....
    http//balsajag.blogspot.com

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  2. मान्यवर, हिंदी ब्लॉगिंग जगत में आपका स्वागत है. आशा है कि हिंदी में ब्लॉगिंग का आपका अनुभव रचनात्मकता से भरपूर हो.

    कृपया मेरा प्रेरक कथाओं और संस्मरणों का ब्लौग देखें - http://hindizen.com

    आपका, निशांत मिश्र

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  3. हम प्यार करना सीखें,हममें,अपने आप में,अपनी आत्मा और जीवन में,परिवार में, समाज में और ईश्वर में,दसों-दिशाओं में प्रेम बिखेरना और उसकी लौटती प्रतिध्वनि का भाव-भरा अमृत पीकर धन्य हो जाना,यही जीवन की सफलता हैं।
    बहुत सुंदर…..

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