Sunday, May 10, 2009

dosti

ना ज़मीन, ना सितारे, ना चाँद, ना रात चाहिए,

दिल मे मेरे, बसने वाला किसी दोस्त का प्यार चाहिए,

ना दुआ, ना खुदा, ना हाथों मे कोई तलवार चाहिए,

मुसीबत मे किसी एक प्यारे साथी का हाथों मे हाथ चाहिए,

कहूँ ना मै कुछ, समझ जाए वो सब कुछ,दिल मे उस के,

अपने लिए ऐसे जज़्बात चाहिए,

उस दोस्त के चोट लगने पर हम भी दो आँसू बहाने का हक़ रखें,

और हमारे उन आँसुओं को पोंछने वाला उसी का रूमाल चाहिए,

मैं तो तैयार हूँ हर तूफान को तैर कर पार करने के लिए,

बस साहिल पर इन्तज़ार करता हुआ एक सच्चा दिलदार चाहिए,

उलझ सी जाती है ज़िन्दगी की किश्ती दुनिया की बीच मँझदार मे,

इस भँवर से पार उतारने के लिए किसी के नाम की पतवार चाहिए,

[m]अकेले कोई भी सफर काटना मुश्किल हो जाता है,

मुझे भी इस लम्बे रास्ते पर एक अदद हमसफर चाहिए,

यूँ तो 'मित्र' का तमग़ा अपने नाम के साथ लगा कर घूमता हूँ,

पर कोई, जो कहे सच्चे मन से अपना दोस्त, ऐसा एक दोस्त चाहिए

1 comment:

  1. aapne bahut acchi rachna likhi hai......man ko choo gayi ...aap bahut accha likhti hai...

    itni acchi rachna ke liye badhai ..............

    meri nayi poem padhiyenga ...
    http://poemsofvijay.blogspot.com

    Regards,

    Vijay

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